स्थायी
कईसे करंव मैं दाई ओ
जग ला रचे बर मन बनाये हौ
कईसे करंव मैं दाई ओ
जग ला रचे बर मन बनाये हौ
कुटुंब कबीला सब सकलाये मैया
कुटुंब कबीला सब सकलाये
नियम धरम ला बताये हो
अंतरा 1
ज्योत जंवारा के नियम धरम ला बईगा हा आ के बताही
ओखरे बताये रद्दा मा चलबो अलहन हा नई आही
डीव हार मा अपन का होथे बईगा सुन समझाही
तब जा के ये काज संवरही मन से बे हरसाही
बेरा नवरात के आगे मैया
बेरा नवरात के आगे
काली एकम बताये हो
अंतरा 2
घर दुआर ला लिप पोत के सुग्घर पवरित करके
करिया हड़िया में बईगा बबा हा बिरही फिंजो के रखथे
फूलवारी बर नंदिया तीर के माटी संवार के रखथे
जोत के करसा झेंझरी टुकनी तेल अऊ बाती बरथे
हूंम धूप खप्पर मंगाये मैया
हूंम धूप खप्पर मंगाये
तीन रंग धजा लहराये ओ
अंतरा 3
एकम के दिन बोये फूलवारी जुर मिल जोत जलाथे
घर के सियान हा पंडा बनथे सेवा मा लग जाथे
एकम बिते दुजे तिजे अऊ चौथ के दिन बित जाथे
पंचमी मा सिंगार सजाये जंवारा हा लहराथे
छठ मा बाना परघाये मैया
छठ मा बाना परघाये
चौरा मा बाना सुहाये हो
अंतरा 4
करसा उपर करसा चघत हे हूंम धूप महकत हे
अष्टमी दिन मा हवन पूजा ला बाम्हन देव करत हे
नवमी के दिन घर के सियानिन बोहे ज्योत चलत हे
पाछू पाछू छोटकी मंझली बोहे जंवारा झूपत हे
कांतिकार्तिक जस गाये मैया
बिन्दु सगरी नहाये ओ
कुटुंब कबीला सब सकलाये मैया
कुटुंब कबीला सब सकलाये
नियम धरम ला बताये हो
✍ लेखक: ओपी देवांगन
🎤 प्रस्तुतकर्ता: KOK Creation
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