धरम के धजा फहराये बर कैना रूप मा रूपसाये बर
दाई लीला रचाये ओ
योग माया हा किसन के बहीनी विन्ध्यवासिनी आये हे
पापी कंस ला दाई चेताये बैरी समझ नई पाये हे
मन के आसा पुराथे दाई परछो नेको देखाये हे
छत्तीसगढ़ के धमतरी मा दाई बिलाई कहाये हे
पटकत कैना हा उड़ाये आगास ले गोठ गोठीयाऐ
योग माया कहाये ओ
दाई लीला रचाये ओ
धरा धमतरी के वसुन्धरा मा दाई हा माया रचाये हे
ऐति राजा नरहरदेव शिकार करे बर आये हे
हथ्थी घोड़ा दल बल रूक के जेमेर बिलाई सकलाये हे
पखरा के आकर्षण बल मा राजा के मन हा बंधाये हे
बखरा मा भाव ला पाये सैनिक ला हुकुम सुनाये
खने बर चेताये ओ
दाई लीला रचाये ओ
खनत खनत जल के धारा हा अविरल ढ़ंग ले बोहाये
उही रतिहा मा देवी दाई हा सपना में राजा के जाये
जम्मो उदीम तोर विफल हो जाही कहीके दाई चताये
उही मेर रहीहौ जग तारण बर सुनत राजा चौधाये
गुणवान मन ला ओ बताये राजा मन्दिर बनवाये
बिलई दाई कहाये ओ
दाई लीला रचाये ओ
चन्द्र भागा के भाग हा जागे दाई के किरपा पागे
मनोकामना सिद्ध के सेती मन्दिर फेर सवरागे
सबके कोरा ला हरियाथे धमतरहीन दाई संवागे
छत्तीसगढ़ के भाग जागे मन भक्ति मा लागे
सिंगार पियर मन भाये कान्तिकार्तिक जस गाये
मौनी लाला हरषाये ओ जग आशिष पाये ओ
दाई लीला रचाये ओ
धरम के धजा फहराये बर कैना रूप मा रूपसाये बर
दाई लीला रचाये ओ
✍ लेखक: ओ पी देवांगन
🎤 प्रस्तुतकर्ता: -
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