अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
आधा रात पहागे
मोला घर म देही गारी ओ रामा
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
गांव घर के सबो मनसे सुत गे
देख चिराई चिरगुन सुत गे
पुरवाई उंघावत हावै
ठाढ़े रूख राई मन सुत गिन
नंदिया सुत गे नरवा सुत गे
छानी सुत गे परवा सुत गे
दिन दिन भर के थके मांदे
कोठा म सब गरवा सुत गिन
सोवत हे रात उजियारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
काल फेरेच मैं ऐ मेर आहूं
हांस हांस तोरसो गोठियाहूं
तैं मोर जिनगानी के संगी
तोला छोड़ कहां मैं जाहूं
तोर कहे ले दौड़त आथौ
घर म अड़बड़ गारी खाथौ
गोड़ पिराथे तभो तोर बर
घेरी पईत तरईया आथौ
मैं राधा तोर तैं बनवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
तोर का तैं तो तान के सुतबे
दिन चढ़ जाही तभे उठबे
बूता कुछु नही करे बर
मोर गली म गावत रेंगबे
मैं घर के सब बूता करथौ
गाय गरू बर पानी भरथौ
घर के साफ सफाई करथौ
रंधाई कुटाई करथौ
बड़े बिहनिया जाथौ बारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
आधा रात पहागे
मोला घर म देही गारी ओ रामा
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
अब मोला जान दे संगवारी
✍ लेखक: लक्ष्मीनारायण कुम्भकार
🎤 प्रस्तुतकर्ता: SUNDRANI
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